Disease – HIV/Aids

एड्स/एच.आई.वी. के सम्बन्ध में आवश्यक जानकारियाँ
* एड्स और एच.आई वी.में अंतर :-

एच.आई.वी. एक अतिसूक्ष्म विषाणु होता हैं जिसकी वजह से एड्स हो सकता हैं । एड्स स्वयं में कोई रोग नहीं । यह शरीर की अन्य रोगों से लड़ने की प्रतिरोधक क्षमता को घटा देता हैं । प्रतिरोधक क्षमता के क्रमशः क्षय होने से कोई भी अवसरवादी संक्रमण यानि आम सर्दी जुकाम से लेकर कैंसर जैसे रोग तक सहजता से शरीर पर हावी हो जाते हैं और उसका ईलाज करना कठिन हो जाता हैं जिससे मनुष्य की मृत्यु भी हो सकती हैं ।
एड्स एक तरह का संक्रामक रोग हैं जो एक से दुसरे को और दुसरे से तीसरे को हो सकता हैं । एड्स (AIDS)का पूरा नाम Acquired Immune Deficiency Syndromem हैं और यह एक तरह के विषाणु से फैलता हैं जिसका नाम HIV (Human Immunodeficiency Virus) हैं।
अगर किसी को HIV हैं तो जरुरी नहीं कि उसको एड्स भी हो।
अगर समय रहते वायरस का ईलाज कर दिया गया तो एड्स होने का खतरा कम हो जाता हैं ।"
* एड्स के संक्रमण के तीन मुख्य कारण :-

1. असुरक्षित यौन संबंधो द्वारा
2. रक्त के आदान-प्रदान द्वारा
3. माँ से शिशु में संक्रमण द्वारा
" उपरोक्त कारणों में से किसी एक कारण से एड्स हो सकता हैं । "
* एड्स का लक्षण :-

अक्सर एच. आई. वी. से संक्रमित लोगों में लम्बे समय तक एड्स के कोई लक्षण नहीं दिखते हैं । फिर भी एड्स के प्रारंभिक मुख्य लक्षण निम्नलिखित हैं :- 1. बुखार ।
2. थकान ।
3. सिर या बदन दर्द ।
4. हैजा ।
5. भोजन में अरुचि ।
"ध्यान रहे कि उपरोक्त लक्षण बुखार या फिर अन्य किसी सामान्य रोग के भी हो सकते हैं इसलिये एड्स की पहचान के लिए औषधीय परिक्षण अनिवार्य हैं । "
* एड्स का उपचार :-

अभी तक एड्स एक लाईलाज बीमारी हैं परन्तु एड्स के उपचार हेतू औषधी विज्ञान में निरंतर संशोधन जारी हैं जिससे कि इससे बचने के लिए टीकों का निर्माण किया जा सके । हालांकि वैज्ञानिकों के प्रयास से ऐसी दवाईयों का निर्माण संभव हो पाया हैं जिससे कि विरल मरीजों को सही चिकित्सा से 10 से 12 वर्ष तक एड्स के साथ जीना संभव हो सकता है परन्तु भारत में आम लोगों के लिए इन दवाईयों का इस्तेमाल संभव नहीं हैं क्योंकि यह दवाईयाँ बहुत महँगी हैं, जिसका संक्षिप्त विवरण निम्नलिखित हैं :-
1. सिपला की ट्रायोम्यून (प्रति व्यक्ति सालाना खर्च लगभग 150000 रूपये)। यह हर जगह आसानी से नहीं मिलती हैं परन्तु इसके सेवन से बीमारी थम तो जाती हैं पर समाप्त नहीं होती हैं । अगर सेवन बंद कर दिया जाए तो बीमारी फिर से बढ़ने लगती हैं । इसलिये दवा प्रारंभ करने के बाद इसे जीवन भर लेना पड़ता हैं ।
2. सिपला और हेटेरो जैसी प्रमुख भारतीय दवा निर्माता कंपनी एच.आई.वी.पीड़ितों के लिये शीघ्र ही ऐसी दवा बनाने जा रही हैं जिससे कि ईलाज को आसान बनाया जा सके जिसका नाम वाईराडे होने की संभावना हैं ।
* बचाव के उपाय :-

1. अपने जीवनसाथी के प्रति वफादार रहें । एक से अधिक व्यक्ति से यौन सम्बन्ध न रखे ।
2. यौन सम्बन्ध के समय सदैव कंडोम का प्रयोग करें ।
3. यदि आप एच.आई. वी. संक्रमित या एड्स ग्रसित हैं तो अपने जीवनसाथी से इस बात का खुलासा अवश्य करें । बात छुपाए रखने तथा इसी स्थिति में यौन सम्बन्ध जारी रखने से आपका साथी भी संक्रमित हो सकता हैं और आपकी आने वाली संतान पर भी इसका प्रभाव पड़ सकता हैं ।
4. यदि आप एच.आई.वी.संक्रमित या एड्स ग्रसित हैं तो रक्तदान कभी न करें।
5. रक्त ग्रहण करने से पहले रक्त का एच.आई.वी.परीक्षण अवश्य करा ले ।
6. यदि आपको एच. आई. वी. संक्रमण होने का संदेह हो तो तुरंत अपना एच.आई.वी. परीक्षण करा ले और इस प्रकिया को छह महीने के बाद फिर दोहराए क्योंकि छह महीने के बाद भी एच.आई.वी. के कीटाणु का जांच द्वारा पता नहीं लगाया जा सकता हैं ।
* एड्स इन कारणों से नहीं फैलता हैं :-

1. एच.आई.वी.संक्रमित या एड्स ग्रसित लोगों से हाथ मिलाने से ।
2. एच.आई.वी.संक्रमित या एड्स ग्रसित व्यक्ति के साथ रहने से या उनके साथ खाने से ।
3. एक ही बर्तन या रसोई में स्वस्थ और एच.आई.वी. संक्रमित या एड्स ग्रसित का खाना बनाने से ।
4. एच.आई.वी.संक्रमित या एड्स ग्रसित व्यक्ति के साथ बातचीत करने से ।

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